सामाजिक असमानता का अर्थ सामाजिक संसाधनों तक असमान पहुँच की पद्धति से है, जहाँ कुछ लोग संसाधनों के द्वारा विभिन्न अवसरों का लाभ उठाते हैं। जबकि कुछ लोग इससे वंचित रह जाते हैं।
सम्पत्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अवस्था के मामलों में कुछ लोगों का स्तर बहुत ऊँचा है, जबकि कुछ लोगों का बहुत ही निम्न स्थान है। जबकि व्यक्तिगत असमानता से तात्पर्य व्यक्तियों की मानसिक तथा शारीरिक विशेषताओं में विचलन तथा विध्वंस से है।
कोई व्यक्ति असाधारण बुद्धिमान या प्रतिभावान हो सकता है। सामाजिक विषमता, सामाजिक स्तरीकरण, पूर्वाग्रह, भेदभाव आदि से प्रकट होती है। ये प्राकृतिक नहीं वरन् उस समाज द्वारा उत्पन्न की जाती है जिसमें वे रहते हैं।
व्यक्तियों की विषमताओं से कैसे भिन्न है?सामाजिक स्तरीकरण की कुछ विशेषताएँ बताइए।
सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) सामाजिक स्तरीकरण व्यक्तियों के बीच विभिन्नता का कारण नहीं बल्कि सामाजिक संसाधन विभिन्न सामाजिक श्रेणियों में असमान रूप से बँटा होता है। जैसे आदिम समाज शिकारी संग्रहकर्ता समाज में थोड़ा उत्पादन करते हैं। वही तकनीकी रूप से अधिक उन्नत समाज में जहाँ लोग अपनी मूलभूत जरूरतों से अधिक उत्पादन करते हैं।
(2) सामाजिक स्तरीकरण पीढ़ी-दर-पीढ़ी होता है। यह परिवार और सामाजिक संसाधनों के एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में उत्तराधिकार के रूप में घनिष्ठता से जुड़ा है। अर्थात् बच्चे अपने माता-पिता की सामाजिक स्थिति को पाते हैं।
(3) सामाजिक स्तरीकरण को विश्वास या विचारधारा द्वारा समर्थन मिलता है।
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